Tuesday, December 6, 2022

सोशल मीडिया लोकप्रिय पर भरोसेमंद नहीं : प्रो. संजय द्विवेदी

'जनमोर्चा' के 65वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोले आईआईएमसी के महानिदेशक अयोध्या, 5 दिसंबर। हिंदी दैनिक 'जनमोर्चा' के 65वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि बदलते समय में जहां सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा है, वहीं प्रिंट मीडिया आज भी सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति के दौर में सबसे पहले खबर पहुंचाने की प्रतिस्पर्धा में कई बार सही खबर लोगों तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में जनता को अगले दिन प्रिंट मीडिया में छपी खबर का इंतजार होता है, ताकि वे सच्चाई जान सकें। इस अवसर पर अयोध्या के कमिश्नर गौरव दयाल, पूर्व सांसद निर्मल खत्री, शिक्षाविद् डॉ. बल्देव राज गुप्ता, नवभारत टाइम्स, लखनऊ के संपादक मोहम्मद नदीम, 'जनमोर्चा' के प्रधान संपादक श्री शीतला सिंह एवं संपादक डाॅ. सुमन गुप्ता विशेष रुप से उपस्थित रहे। 'पत्रकारिता की स्थिति एवं संभावनाएं' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता अन्य किसी भी माध्यम के मुकाबले सबसे अधिक है। यह उस मजबूत पत्रकारीय परंपरा का परिणाम है, जिसका प्रिंट मीडिया अनुसरण करता है। उन्होंने कहा कि खबर या समाचार सिर्फ पत्रकार दे सकता है। खबर के साथ एक प्रक्रिया और जिम्मेदारी जुड़ी है, जबकि सूचनाएं कोई भी दे सकता, लेकिन ये जरूरी नहीं कि वे सच भी हों। आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार एक दिन में सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा 320 करोड़ से ज्यादा तस्वीरों को शेयर किया जाता है। एक दिन में फेसबुक पर 800 करोड़ से ज्यादा वीडियो देखे जाते हैं। एक व्यक्ति एक दिन में लगभग 145 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है। अगर सोशल मीडिया पर सभी यूजर्स के द्वारा बिताए गए वक्त को जोड़ दिया जाए, तो हर दिन 10 लाख साल के बराबर का समय सिर्फ सोशल मीडिया पर ही खर्च हो जाता है। इन लगातार बढ़ते आंकड़ों के बावजूद पाठक हर सुबह अखबार की प्रतीक्षा में होता है, जो बताता है कि प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता आज भी कायम है। प्रो. द्विवेदी के अनुसार संकट का समाधान ढूंढना और अपने लोगों को न्याय दिलाना भी अखबार की जिम्मेदारी है। एक संस्था के रूप में अखबार बहुत ताकतवर हैं। इसलिए उन्हें सामान्य लोगों की आवाज बनकर उनके संकटों के समाधान के प्रकल्प के रूप में सामने आना चाहिए। हाल ही में जारी कई सर्वे भी ये बताते हैं कि आज भी प्रिंट मीडिया का समाज पर पहले की तरह प्रभाव है। उन्होंने 65 वर्षों से लगातार प्रकाशित हो रहे 'जनमोर्चा' समाचार पत्र को उसके सफल प्रकाशन के लिए शुभकामनाएं भी दी। शिक्षाविद् डॉ. बल्देव राज गुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता में आज जिस तरह से बदलाव हो रहा है, उसमें 'जनमोर्चा' को अपना वजूद बचाये रखने हेतु संघर्ष करने होंगे, इसके लिए सबके सहयोग की जरुरत है। 'जनमोर्चा' ने जो मुहिम शुरू की है, उसके लिए वह बधाई का पात्र है। पूर्व सांसद निर्मल खत्री ने कहा कि 'जनमोर्चा' पत्रकारिता के क्षेत्र में एक मिसाल है। तमाम झंझावातों के बावजूद महात्मा हरगोविन्द, बलभद्र प्रसाद गुप्त और संपादक शीतला सिंह के त्याग और तपस्या से यह समचार पत्र यहां तक पहुंचा है। स्थापना दिवस समारोह के विशिष्ट अतिथि नवभारत टाइम्स, लखनऊ के संपादक मो. नदीम ने कहा कि सत्ता जनित दबाव नया नहीं है। सरकारों का यह दबाव मीडिया तक ही सीमित नहीं है, यह संकट दूसरी सभी संस्थाओं में है। वर्तमान के पीछे हम अतीत के पन्नों में नहीं जाते और कहते हैं कि मीडिया पर दबाव अब कुछ ज्यादा बढ़ गया है। मीडिया पर सरकारों का दबाव हमेशा रहा है। अयोध्या के कमिश्नर गौरव दयाल ने कहा कि पत्रकारिता हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। वह आइने का कार्य करती है। कलम में बड़ी ताकत होती है, इसलिए पत्रकार शासन-प्रशासन की कमियों को सच्चाई के साथ उजागर करें।

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